कमोडिटी में ट्रेडिंग

कोको, कॉफी और कॉपर जैसी सॉफ्ट और हार्ड कमॉडिटीज का इस्तेमाल स्टैंडअलोन ट्रेडिंग के अवसरों के रूप में या एक विविध पोर्टफोलियो के रूप में किया जा सकता है। CFDs के साथ इन एसेट्स की बढ़ती और गिरती कीमतों और HFM द्वारा पेश की गई इंडस्ट्री में सबसे बेहतर ट्रेडिंग कंडीशन्स का लाभ उठाएं।

HFM के साथ कमॉडिटीज पर CFDs को ट्रेड क्यों करें

अल्ट्रा-फास्ट एक्सीक्यूशन

बढ़ती और गिरती दोनों कीमतों पर ट्रेड करें

HFM पर, आप लीवरेज और अल्ट्रा-फास्ट एक्सीक्यूशन के साथ सॉफ्ट और हार्ड कमॉडिटीज पर CFDs को ट्रेड कर सकते हैं।

आप कमॉडिटी पर CFDs को ट्रेड करने के लिए MT4 और MT5 प्लेटफॉर्म और HFM ऐप के बीच चुन सकते हैं।

कैसे शुरू करेंकमॉडिटी पर CFDs की ट्रेडिंग

  • 2. अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को निर्धारित करें
  • 3. अपना ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म चुनें
  • 4. वो कमॉडिटी ढूंढें जिसका आप ट्रेड करना चाहते हैं
  • 5. अपनी पोजीशन खोलें और मॉनिटर करें

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HFM ऐप

किसी भी समय, कहीं भी अपने मनपसंद इंस्ट्रूमेंट्स को ट्रेड करने के लिए हमारे पुरस्कार विजेता HFM ऐप का इस्तेमाल करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सबसे पहले, ट्रेड की जाने वाले अलग-अलग कमॉडिटीज और उनके मार्केट डायनामिक्स के बारे में जानें। इसमें इंडस्ट्री रिपोर्ट को पढ़ना, कमॉडिटीज़ की कीमतों को फॉलो करना और सप्लाई और डिमांड कारकों को समझना शामिल हो सकता है। उसके बाद, एक HFM लाइव या डेमो ट्रेडिंग अकाउंट खोलें और अपना प्लेटफॉर्म, स्ट्रेटेजी और ट्रेडिंग अवसर चुनें। अपनी पोजीशन खोलें और मॉनिटर करें।

कमॉडिटीज की कीमत कई वजहों से प्रभावित होती है, जिनमें यह सब शामिल हैं:

  1. सप्लाई और डिमांड: सप्लाई और डिमांड का सामान्य सिद्धांत कमॉडिटीज की कीमतें निर्धारित करने में एक अहम भूमिका निभाता है। अगर किसी भी कमॉडिटी की सप्लाई, डिमांड से अधिक हो जाती है, तो कीमतें गिर सकती हैं, जबकि दूसरी ओर अगर डिमांड, सप्लाई से अधिक हो जाती है, तो कीमतें बढ़ सकती हैं।
  2. जियोपोलिटिकल इवेंट्स: युद्ध, प्राकृतिक घटनाएं और राजनीतिक अस्थिरता जैसे जियोपोलिटिकल इवेंट्स:कमॉडिटीज की सप्लाई को बाधित कर सकते हैं और कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, ऑइल प्रोड्यूस करने वाले देशों में राजनीतिक अशांति की वजह से ऑइल की सप्लाई में रुकावट आ सकती है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।
  3. मौसम की स्थिति: सूखा, बाढ़ और तूफान जैसी मौसम की स्थिति गेहूं और मक्का जैसी कृषि वस्तुओं के उत्पादन पर असर डाल सकती है और कीमतों पर भी असर डाल सकती है।
  4. ग्लोबल इकोनॉमिक कंडीशन्स: ग्लोबल इकॉनमी का ठीक होना कमॉडिटीज की डिमांड पर असर डाल सकता है। आर्थिक विकास की अवधि के दौरान, इंडस्ट्रियल मेटल्स और एनर्जी जैसी कमॉडिटीज की डिमांड बढ़ सकती है, जबकि आर्थिक मंदी के दौरान डिमांड कम हो सकती है।
  5. करेंसी एक्सचेंज रेट्स: कमॉडिटी की कीमतों को अक्सर अमेरिकी डॉलर में दर्शाया जाट है, इसलिए एक्सचेंज रेट्स में बदलाव होने से अन्य करेंसी का इस्तेमाल करने वाले खरीदारों के लिए कीमतों पर असर पड़ सकता है।
  6. सरकारी नीतियां: ट्रेड टेरिफ्स, सब्सिडीज़ और विनियम जैसी सरकारी नीतियां वस्तुओं के प्रोडक्शन, उपभोग और मूल्य निर्धारण को प्रभावित कर सकती हैं।
  7. मौसमी कारक: कुछ कमॉडिटीज जैसे कि नेचुरल गैस और हीटिंग ऑइल, में मौसमी डिमांड पैटर्न्स होते हैं जो कीमतों पर असर डाल सकते हैं।

दुनिया में सबसे अधिक ट्रेड की जाने वाली कमॉडिटीज में शामिल हैं:

  • क्रूड ऑइल
  • गोल्ड
  • नेचुरल गैस
  • भुट्टा
  • कॉपर

HFM, पर हम अलग-अलग ट्रेडर्स की विशिष्ट ज़रूरतों के मुताबिक कई सारे अकाउंट के प्रकार प्रदान करते हैं। चाहे आपकी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी, फंडिंग का स्तर या जोखिम उठाने की इच्छा जो भी हो, आपकी ज़रूरतों से मिलता-जुलता अकाउंट आपको यहां ज़रूर मिलेगा। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया हमारे अकाउंट पेज पर जाएं।